हरियाणा में नई एक्साइज पॉलिसी को मंजूरी:गांवों में कम होंगे ठेके; पंचकूला में मनसा देवी मंदिर का इलाका पवित्र एरिया

हरियाणा/ (वासु के मेहता हरियाणा पॉलिटिकल ब्यूरो प्रमुख) I हरियाणा कैबिनेट मीटिंग के दूसरे दिन नई एक्साइज पॉलिसी की मंजूरी मिल गई। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में यह मंजूरी दी गई। नई पॉलिसी के तहत गांवों में शराब ठेकों की संख्या को सरकार कम करेगी। इसके साथ ही कुरुक्षेत्र के बाद पंचकूला को भी  पवित्र एरिया घोषित किया गया है।
इसके तहत पंचकूला में श्री माता मनसा देवी मंदिर के आसपास अधिसूचित पवित्र क्षेत्र में कोई भी शराब की दुकान खोलने की मंजूरी नहीं मिलेगी।

400 करोड़ का अतिरिक्त फंड बना
सीएम मनोहर लाल ने बताया कि पिछले 5 वर्षों में राज्य का आबकारी राजस्व दोगुना हो गया है। पिछले 2 वर्षों में जिस लाइसेंस शुल्क पर दुकानें आवंटित की गई थी, उसकी शत-प्रतिशत वसूली भी की जा चुकी है। नई उत्पाद शुल्क नीति के साथ, सरकार का लक्ष्य रुपए एकत्र करना है। पर्यावरण और पशु कल्याण (गौ सेवा) के लिए 400 करोड़ का अतिरिक्त फंड बनाया गया है।

29 फरवरी से सिर्फ कांच की बोतलों में बिकेंगी शराब
मनोहर लाल ने कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से सरकार ने एक और बड़ा फैसला किया है। अब सूबे में 29 फरवरी 2024 के बाद शराब की सप्लाई सिर्फ कांच की बोतलों में ही की जाएगी। इसके साथ ही अब 4 हजार की आबादी वाले गांव में एक ठेका होगा। इस बार सरकार ने 11.50 हजार करोड़ राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया है।

ग्राम सचिव की संख्या बढ़ाई
सीएम मनोहर लाल ने बताया कि गांवों में विकास कार्य बाधित नहीं हो इसके लिए अतिरिक्त ग्राम सचिव रखे जाएंगे। उन्होंने बताया कि ग्राम सचिव की संख्या 1800 से बढ़ाकर 4487 कर दी गई है। पुराने ग्राम सचिव को ग्राम सचिव प्रथम कहा जाएगा। जल्द ही नए ग्राम सचिवों की नियुक्ति की प्रक्रिया सरकार शुरू करेगी।

पंजाब पुलिस का सांडर्स फंड समाप्त
हरियाणा के सीएम ने बताया कि पंजाब पुलिस 1934 में हैंडी साइड फंड और सांडर्स फंड्स समाप्त किया गया है। उन्होंने बताया कि पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को मंजूरी के बाद कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी देकर महामहिम राज्यपाल को आर्डिनेंस के लिए भेजेंगे।

ये भी अहम फैसला:
– 6 नए सब डिवीजन मानेसर, जुलाना,नीलोखेड़ी, नांगल चौधरी, इसराना, छछरौली को मंजूरी
– HSMITC के कर्मचारी जिन्होंने बुजुर्गावस्था पेंशन भी ली, उनका पिछला बकाया 1-10-20 से एरियर के साथ मिलेगा
– उन कर्मचारियों से एक साल पहले तक की पेंडेंसी बिना ब्याज लेंगे
-गौड़ ब्राह्मण विद्या प्रचारिणी सभा रोहतक को 33 वर्ष की अवधि के लिए पट्टे पर देने के संबंध में दी गई स्वीकृति
– राज्य लेखा परीक्षा निदेशालय नाम का ऑडिट गठित करने के प्रस्ताव को मंजूरी
– कृषि व्यवसाय एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति 2018 में संशोधन के प्रस्ताव को मिली मंजूरी
 3500 करोड़ के साथ 20000 लोगों को मिल सकेगा रोजगार
पहले दिन बीसी-ए आरक्षण को मिली मंजूरी
पहले दिन पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को कैबिनेट ने मंजूरी दी। दूसरे दिन एक्ट में संशोधन के लिए अध्यादेश लाया गया। कैबिनेट की मंजूरी के बाद हरियाणा में पंचायतों के बाद अब शहरी स्थानीय निकायों में भी पिछड़ा वर्ग-ए (बीसी-ए) को आरक्षण दिया जाना तय हो गया है। इसके अनुसार, शहरी स्थानीय निकायों में मेयर, चेयरमैन के कुल पदों में 8% बीसी-ए के लिए आरक्षित होंगे।

बीसी-ए की आबादी से तय होगा पार्षद पद
पार्षद पद के लिए आरक्षण निकाय क्षेत्र में बीसी-ए की आबादी के अनुसार तय होगा। जिस निकाय में एससी आबादी 50% या अधिक है तो वहां बीसी-ए को उनकी आबादी के प्रतिशत के बावजूद आरक्षण नहीं मिलेगा।
निकाय में बीसी-ए को कम से कम एक सीट के लिए उसकी आबादी 2% या इससे अधिक होना जरूरी है। कैबिनेट की बैठक मंगलवार को भी होगी। इसमें आरक्षण के लिए एक्ट में संशोधन के लिए ऑर्डिनेंस लाया जाएगा।

रिपोर्ट में प्रतिनिधित्व कम मिला
आयोग की अध्यक्षता पूर्व न्यायाधीश, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) दर्शन सिंह ने नागरिकों के पिछड़े वर्गों के राजनीतिक पिछड़ेपन के आकलन के लिए जांच की। जांच में आयोग ने पाया कि नागरिकों के पिछड़े वर्गों, ब्लॉक-ए (बीसी-ए) का राजनीतिक ढांचे में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, इसलिए उन्हें स्थानीय निकायों, नगर पालिकाओं के चुनाव में आरक्षण के समर्थन की आवश्यकता है, ताकि पर्याप्त भागीदारी हो सके।

ब्लॉक-ए का पद होगा आरक्षित
प्रत्येक नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका में पार्षद का पद नागरिकों के ब्लॉक-ए के पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित होगा। इस प्रकार आरक्षित सीटों की संख्या उस क्षेत्र में सीटों की कुल संख्या के समान अनुपात में हो सकती है। शहरी स्थानीय क्षेत्र, उस शहरी स्थानीय क्षेत्र में कुल आबादी के नागरिकों के पिछड़े वर्ग ब्लॉक-ए की आबादी के आधे प्रतिशत के रूप में होगी।
यदि दशमलव मान 0.5 या अधिक है तो इसे अगले उच्च पूर्णांक तक पूर्णांकित किया जाएगा। बशर्ते कि यदि पिछड़े वर्ग (ए) की आबादी सभा क्षेत्र की कुल आबादी का दो प्रतिशत या अधिक है तो प्रत्येक निकाय में पिछड़े वर्ग (ए) से संबंधित कम से कम एक पार्षद होगा।

50% से सीटें अधिक होने पर ये होगा नियम
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि पिछड़े वर्ग (ए) के लिए इस प्रकार आरक्षित सीटों की संख्या को अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या के साथ जोड़ने पर यदि उनकी कुल संख्या नगर निकायों की कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक हो जाती है तो पिछड़े वर्ग (ए) के लिए आरक्षित सीटों की संख्या को वहीं तक रखा जाएगा, जिससे कि अनुसूचित जाति और बीसी (ए) का आरक्षण नगर पालिका, नगर परिषद व नगर निगम के सदस्य की कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक न हो।

ऐसे तय होगी आरक्षण व्यवस्था
रिपोर्ट में आरक्षण को उदाहरण देकर कहा गया है कि शहरी स्थानीय क्षेत्र में, ‘ए’ नागरिकों के ब्लॉक ए के पिछड़े वर्ग की आबादी उस शहरी स्थानीय क्षेत्र की कुल आबादी का 25 प्रतिशत है, तो 12.5 प्रतिशत सीटें पिछड़े वर्ग के ब्लॉक-ए नागरिकों के लिए आरक्षित होंगी। जहां किसी दिए गए शहरी स्थानीय क्षेत्र में अनुसूचित जाति की आबादी 50 प्रतिशत या उससे अधिक है, वहां के नागरिकों के पिछड़े वर्ग ब्लॉक-ए को उनकी आबादी के प्रतिशत के बावजूद कोई आरक्षण नहीं मिलेगा।

इन स्थिति में 4 सीटें होंगी आरक्षित
जहां अनुसूचित जाति की जनसंख्या शहरी स्थानीय निकाय की जनसंख्या का 40 प्रतिशत है तथा शहरी स्थानीय क्षेत्र में 10 सीटें हैं तो अनुसूचित जाति के लिए 4 सीटें आरक्षित होंगी, शेष एक सीट पिछड़ा वर्ग ब्लॉक के लिए उपलब्ध होगी। पिछड़ा वर्ग ब्लॉक-ए के नागरिकों को नगर पालिका में एक सीट मिलेगी, भले ही उनके लिए उपलब्ध आरक्षण के प्रतिशत के अनुसार कोई सीट उपलब्ध न हो, बशर्ते कि संबंधित शहरी स्थानीय क्षेत्र में उनकी आबादी 2 प्रतिशत से कम न हो।
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