सफलता के लिए स्किल साथ एकाग्रता और अनुशासन होना बहुत जरूरी : धृतिमान सिंह

देवघर। डीपीएल 10 के समापन समारोह में सत्संग आश्रम के प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे धृतिमान सिंह ने खेल प्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि
मानव जीवन की शुरुआत ही होती है खेलकूद से। खेल से ही एक शिशु में कर्म करने की प्रवृत्ति जन्म लेती है। यहां तक कि शिक्षा ग्रहण से भी पहले एक बच्चे को खेलकूद में प्रेरित किया जाता है।
श्री सिंह ने इसका कारण अनुशासन को बतलाते हुए कहा कि मानव मन अनियंत्रित होता है। वह सामान्यतः किसी भी बंधन या नियंत्रण में रहना पसंद नहीं करता। पर समस्या यह है कि यदि हर व्यक्ति को अपनी मनमानी करने की छूट मिल जाये तो फिर जंगली जीवन और समाजिक जीवन का अंतर मिट जायेगा। अनुशासन ही एक तत्व है जो पशुता से मानवता की ओर ले जाती है। दुनिया का कोई भी खेल हो, उसमें नियम नीति के पालन में अभ्यस्त कराना तथा उसके जीवन में अनुशासन को कायम करना साथ ही साथ किसी एक के नेतृत्व को मानने की प्रवृत्ति का भी विकास होता है। केवल मात्र स्किल से सफलता नहीं मिलती यदि उसके साथ एकाग्रता और अनुशासन नहीं हो। हमारे आसपास ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहां स्किल या योग्यता रहते हुए भी व्यक्ति असफल है। क्रिकेट की यदि हम बात करें तो सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली को कौन नहीं जानता। कांबली में स्किल की कोई कमी नहीं थी, बल्कि कुछ मामले में तो वो सचिन से भी अधिक प्रतिभावान थे। परन्तु जीवन में उस अनुशासन के अभाव में उनका खेल जीवन अंधकार में डूब गया, जबकि सचिन ने कठिन परिश्रम और तपस्या से स्वयं को ऐसा अनुशासित किया कि क्रिकेट की दुनिया में उन्होंने सफलता के नये आयाम स्थापित किए।
उन्होंने लोगों का आहवान करते हुए आशा प्रकट कर कहा कि मात्र खेलकूद में ही नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में हम ऐसे ही अनुशासित आचरण को अपनायेंगे। व्यक्तिगत जीवन, पारिवारिक जीवन, सामाजिक जीवन एवं राष्ट्रीय जीवन में अनुशासित होकर अपने सभी कर्तव्यों का समुचित निर्वहन करेंगे।
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