
बेंगाबाद। प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों की अनदेखी कर स्टोन क्रेशरों का संचालन बेरोकटोक किया जा रहा है! कहने के लिए खनन विभाग से सांठगांठ कर क्रेशर लगाने का लाइसेंस प्राप्त कर पत्थर पिसाई का कार्य आरंभ करता है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है। कुछ ऐसी ही स्थितियां बेंगाबाद प्रखंड के झलकडीहा-कुसमरजा, करमजोरा आदिवासी बाहुल गांव में देखा जा रहा है जहां खनन विभाग द्वारा लाइसेंस प्राप्त कर लगभग आधा दर्जन लोगों द्वारा सरकारी मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही है !यहां एक-दो को छोड़कर सभी लोगों द्वारा बगैर चारदीवारी के पत्थर घिसाई का कार्य किया जा हैं !एक ओर केंद्र व राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई तरह की योजनाएं धरातल पर उतारी गई है !वहीं दूसरी ओर क्रेशर संचालकों द्वारा क्रेशर से उडने वाली डस्ट से पर्यावरण को दूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं !पत्थर क्रशर संचालन के लिए जहां राज्य सरकार द्वारा कुछ मापदंड निर्धारित किया गया है !जिससे सरकार को क्रेशर संचालन से राजस्व की प्राप्ति भी हो सके और पर्यावरण भी दूषित ना हो। लेकिन विडंबना है कि बेंगाबाद प्रखंड के छोटकीखरगडीहा, भंडारीडीह, महेशमुंडा आदि क्षेत्रों में क्रेशर संचालकों द्वारा सरकारी मापदंडों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जिससे आसपास की उपजाऊ जमीन भी बंजर होती जा रही है। लेकिन इसे रोक लगाने वाली पर्यावरण विभाग को फिक्र नहीं है। जानकारों के अनुसार किसी भी क्रेशर संचालन आरंभ करने से पूर्व पर्यावरण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी है !वहीं पर्यावरण विभाग क्रेशर संचालन से पूर्व पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए 10 से 12 फीट ऊंची चारदीवारी कार्य स्थल पर डीप बोरिंग जिससे समय-समय पर पानी का छिड़काव करना जरूरी है। वही चारदीवारी के अंदर वृक्षारोपण करना अनिवार्य बताया गया है। इन सारी अहर्ता को पूरा करने के बाद पर्यावरण विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है! विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद क्रेशर का संचालन आरंभ किया जाता है !लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि न ही क्रेशर में चारदीवारी दिया गया है और ना ही डीप बोरिंग वृक्षारोपण किया गया है जिसे आस-पास के गांव में क्रेशर से उड़ने वाला डस्ट जमीन को बंजर बना रही है !इस संबंध में जिला खनन पदाधिकारी सतीश कुमार का पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल पर कई बार संपर्क किया गया लेकिन बात नहीं हो सकी
क्रेशर के धुल से बंजर हो रही जमीन -मुखिया
इधर इस संबंध में चपुआडीह पंचायत के मुखिया शमीम द्वारा बताया गया कि पंचायत के सीमांकन स्थित करमजोरा नैयाडीह आदिवासी बाहुल्य गांव है स्टोन क्रेशर संचालकों द्वारा आदिवासियों को बहला-फुसलाकर पत्थर की पिसाई कर रहे हैं क्रेशर में काम करने वाले आदिवासी मजदूरों का संचालकों द्वारा बीमा आदि अन्य कोई लाभ भी नहीं दिया जाता है! आज धीरे-धीरे करमजोरा,झलकडीहा कुसमरजा भंडारीडीह गांव क्रेशर का हब बनता जा रहा है जिसके कारण क्रेशर के धूल से आसपास की जमीन बंजर होती जा रही है लगभग एक वर्ष पूर्व क्रेशर संचालन में अनियमितता को देखते हुए हुए तत्कालीन एसडीएम द्वारा क्रेशर को सील भी किया गया था लेकिन पुनः चालू कर दिया गया है उपायुक्त से मांग है कि अविलंब इस पर कार्रवाई की जाए!
The short URL of the present article is: https://bharatbulletin.in/p6ve