पूर्व मेयर सुमन कोली ने राज्य की गहलोत सरकार को घेरा

भीषण गर्मी एवं कर्मचारियों की हड़ताल के बीच महंगाई राहत शिविर दिखावा

IMG-20230514-WA0240_2

 भरतपुर ( राजस्थान) ( यतेन्द्र पाण्डेय् )I   राजस्थान राज्य में कर्मचारियों की हड़ताल के बीच 24 अप्रैल से भीषण गर्मी के बीच प्रदेश भर में महंगाई राहत शिविर शुरू हो गए हैं। जबकि मुख्यमंत्री के पास लाभार्थियों का पूरा डाटा मौजूद हैं। फिर भी लाइन में लगा दी जनता और महंगाई राहत शिविर में पंजीयन कराना केवल सरकार का दिखावा दर्शाता है। ये बात भरतपुर की पूर्व मेयर सुमन कोली ने ग्रामीण इलाकों का दौरा करते समय लोगो से कही। तथा राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को घेर दिया। मेयर सुमन कोली ने बताया कि राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में लाभ प्राप्त करने वालों को इन शिविरों में पंजीयन करवाना अनिवार्य है। जबकि सवाल यह उठता है। कि जब सरकार के पास लाभार्थियों का पूरा डाटा मय रिकॉर्ड पहले से ही मौजूद है। तब इन शिविरों में अनिवार्य पंजीयन क्यों करवाया जा रहा है। वही मई जून की भीषण गर्मी में शिविरों में घंटों इंतजार करने के बाद लोगो का पंजीयन हो पा रहा है। क्योंकि किसी न किसी योजना से प्रदेशवासी जुड़े हैं। इसलिए प्रदेशभर के अधिकांश लोगों को इन शिविरों में आना ही पड़ रहा है। वहीं रसोई गैस का सिलेंडर पांच सौ रुपए में लेने वालों को भी पंजीयन कराना अनिवार्य है। जबकि पांच सौ रुपए में सिलेंडर उन्हीं उपभोक्ताओं को मिलेगा। जिनका कनेक्शन केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना में मिला है। राज्य सरकार के पास उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की सूची है। ऐसे में सरकार चाहे तो उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर ही पांच सौ रुपए वाली सुविधा दे सकती है। वही सौ यूनिट बिजली फ्री करने के मामले में भी सभी विद्युत वितरण निगमो में घरेलू उपभोक्ताओं व कृषि में किसानों को दो हजार यूनिट फ्री बिजली का रिकॉर्ड भी सरकार के पास पहले से ही मौजूद है। क्योंकि ऐसे उपभोक्ताओं को पूर्व में भी प्रतिमाह 500 से लेकर 11 सौ रुपए की सब्सिडी मिल रही थी। इसी प्रकार सामाजिक सुरक्षा में पेंशन भी जिन व्यक्तियों को मिल रही है। उसका रिकॉर्ड भी सरकार के पास है। तथा जरूरतमंद परिवारों को अन्नपूर्णा फूड पैकेट देगी। यह फूड पैकेट राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के दायरे में आने वालों को ही मिलेंगे। सरकार के पास इन लाभार्थियों का भी पूरा रिकॉर्ड है। वही चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के पात्र व्यक्तियों का रिकॉर्ड तो सरकार के पास पिछले दो साल से है। यानि ऐसी कोई योजना नहीं है। जिसके लाभार्थियों का रिकॉर्ड सरकार के पास न हो। सरकार चाहती तो अपनी घोषणाओं के अनुरूप लाभार्थियों को लाभ देना शुरू कर सकती थी। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का इन महंगाई राहत शिविरों के पीछे राजनीतिक मकसद छिपा हुआ है। इसलिए पंजीयन को अनिवार्य किया गया है। प्रदेश में छह-सात माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में गहलोत सरकार यह दिखाना चाहती है। कि सरकारी योजनाओं का लाभ कांग्रेस सरकार द्वारा दिया जा रहा है। वही बहुत सी योजनाओं में तो सीएम गहलोत का फोटो पहले ही लाभार्थियों को देखने को मिलता है। किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को जो सब्सिडी और पचास यूनिट बिजली फ्री देने का काम चल रहा है। उसमें बिजली के बिल पर सीएम अशोक गहलोत का फोटो है और हर बिल पर यह दर्शाया गया है। कि यह राहत सरकार द्वारा दी जा रही है। ऐसे में 24 अप्रैल से शुरू हुए राहत शिविरों में भी सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार सरकारी तंत्र व मशीनरी के द्वारा किया जा रहा है। जो सम्मान पत्र है। उसमे भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का फोटो है। इससे साफ जाहिर है। कि सरकार आम जनता को लाइन में लगाकर व मुद्दों से भटकाकर व अधिकारियों को गांव गांव भेजकर केवल दिखावा करने का काम कर रही हैं। जबकि अधिकांश कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर तहसील, जिला मुख्यालय सहित राजधानी क्षेत्र जयपुर में सरकार के खिलाफ हल्लाबोल कार्यक्रम चलाकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

The short URL of the present article is: https://bharatbulletin.in/xy1a

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *