
नई दिल्ली। चाँद पर तिरंगा लहराने भारत का चंद्रयान-3 अपनी यात्रा पर रवाना हो चुका है|भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया है,जो लगभग 40 दिनों की यात्रा कर 23 अगस्त को चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखेगा|
बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन साल 2019 में लॉन्च किए गए चंद्रयान-2 मिशन का फॉलोअप मिशन है•इसमें लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग और रोवर को सतह पर चलाकर देखा जाएगा| हालांकि लैंडर को चांद की सतह पर लैंड कराना ही सबसे कठिन काम है| 2019 में चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग के कारण मिशन विफल हो गया था|चंद्रयान-3 के लैंडर के थ्रस्टर्स में परिवर्तन किया गया है|सेंसर्स अधिक संवेदनशील लगाए गए हैं|लैंडिंग के वक़्त वैज्ञानिकों की सांसें थमी रहेंगी|
दरअसल चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर को साथ नहीं भेजा जा रहा है|इस बार स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल भेज रहे हैं|यह लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा| इसके बाद यह चंद्रमा के चारों ओर 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा|इसे ऑर्बिटर इसलिए नहीं कहते,क्योंकि यह चंद्रमा का अध्ययन नहीं करेगा|इसका वजन 2145.01 किलोग्राम है,जिसमें 1696.39 किलोग्राम ईंधन उपलब्ध है,यानी मॉड्यूल का वास्तविक वजन 448.62 किलोग्राम है|
बता दें कि चंद्रयान-2 में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर था,जबकि चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर की जगह स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल को शामिल किया गया है|हालांकि आवश्यकता पड़ने पर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की सहायता ली जाएगी|प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर को चंद्रमा की सतह पर छोड़कर,चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर ऊपर चक्कर काटता रहेगा|यह कम्यूनिकेशन के लिए है|
बता दें कि ISRO वैज्ञानिक पूरे विश्व को यह बताना चाहते हैं कि भारत दूसरे ग्रह पर सॉफ्ट लैंडिंग करा सकता है और वहां अपना रोवर चला सकता है|चांद की सतह,वायुमंडल और भूमि के अंदर होने वाली हलचलों का पता करना चंद्रयान-3 का उद्देश्य है|इसके लैंडर,रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल में कुल मिलाकर 6 पेलोड्स भेजे जा रहे हैं|पेलोड्स यानी ऐसे यंत्र जो किसी भी प्रकार की जांच कर सकते हैं|लैंडर में रंभा-एलपी (Rambha LP), चास्टे (ChaSTE) और इल्सा (ILSA) लगा हुआ है|रोवर में एपीएक्सएस (APXS) और लिब्स (LIBS) लगा है| प्रोपल्शन मॉड्यूल में एक पेलोड्स शेप (SHAPE) लगा है|
बता दें कि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए इसरो ने LVM-3 लॉन्चर यानी रॉकेट का उपयोग किया है|इससे भारी सैटेलाइट्स को भी अंतरिक्ष में लॉन्च किया सकता है|यह 43.5 मीटर यानी करीब 143 फीट ऊंचा है और 642 टन वजनी है|यह LVM-3 रॉकेट की चौथी उड़ान होगी| यह चंद्रयान-3 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में लॉन्च करेगा| यानी यह कि 170×36500 किलोमीटर वाली अंडाकार कक्षा में|इससे पहले इसे GSLV-MK3 कहते थे|जिसके 6 सफल लॉन्च हो चुके हैं|