जल मीनार एक वर्ष से खराब, अधिकांश हैंडपंप हो गए हैं बेकार

बसंतराय। गर्मी ने अभी दस्तक देना प्रारंभ ही किया है, लेकिन अंतर प्रांतीय सीमा क्षेत्र में स्थित बसंतराय प्रखंड के राहा ग्राम में पेयजल के लिए हाहाकार मचने लगा है। गेरुवा नदी के तटवर्ती क्षेत्र में स्थित रहने के बावजूद इस गांव में जलस्तर तेजी से नीचे भागते जा रहा है। परिणाम स्वरूप कुएं सूखते जा रहे हैं। अधिकांश चापानलों से पानी निकलना बंद हो गया है। जिस हैंडपंप में समरसेबल लगा है, उसी से सिर्फ पानी निकल रहा है। गांव में लाखों की लागत से निर्मित सोलर जल मीनार पिछले एक वर्ष से महज शोभा की वस्तु बना हुआ है। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फरवरी माह में ही इस गांव के लोगों को पेयजल की किल्लत का गंभीरता पूर्वक सामना करना पड़ रहा है। अभी जब यह स्थिति है तो प्रचंड गर्मी के बीच पेयजल की भयावहता का अंदाजा स्वत: लगाया जा सकता है।
राहा स्वास्थ्य केंद्र के सामने लाखों रुपए की लागत से बना जल मीनार एक साल से खराब पड़ा हुआ है। पेयजल की समस्या का सामना कर रहे ग्राम वासियों को यह जल मीनार मुंह चिढ़ाता हुआ प्रतीत हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि ठंडा के मौसम में तो हम लोग इधर-उधर से पानी लेकर किसी तरह काम लेते थे। लेकिन अभी भीषण गर्मी आया भी नहीं है और हम लोग को पानी के लिए तरसना एवं भटकना पड़ रहा है।
गेरुवा नदी से बालू उठाव के कारण पानी का जलस्तर नीचे चला गया है। जलस्तर नीचे जाने की वजह से ग्रामीणों के घरों के चापानल ने पानी देना बंद कर दिया है। गांव में जितने भी सरकारी चापानल हैं, अधिकांश से पानी निकलना बंद है। यह स्थिति महीनों से है। लेकिन खराब पड़े सरकारी हैंडपंपों की मरम्मत कराने की दिशा में किसी भी स्तर से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। ग्रामीण इंतजार आजाद, जहीरूद्दीन, सद्दाम, मोहम्मद नईम, इसराफिल, रियाज, फारुख, मेहरून्निसा, सबीना खातून आदि ने बताया कि इस मोहल्ले में करीब 200 घर है। खासकर गर्मी के दिनों में जलस्तर नीचे जाने की वजह से सभी घरों के चापानल ने पानी देना बंद कर दिया है। जल मीनार भी खराब है। इसके कारण गर्मी के शुरुआत में ही दूसरे मोहल्ला से पानी लाकर किसी तरह काम चलाना पड़ रहा है। पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर प्रखंड में बैठे आला अधिकारियों को सूचना दी गई है। लेकिन कोई सुधि लेने वाला नहीं है।
The short URL of the present article is: https://bharatbulletin.in/j9e9