भारतीय वायु सेना के 47वें उड़ान परीक्षण पाठ्यक्रम का बेंगलुरु में हुआ भव्य समापन

भारतीय वायु सेना के प्रतिष्ठित परीक्षण पायलट स्कूल द्वारा संचालित 47वें उड़ान परीक्षण पाठ्यक्रम (47th Flight Test Course) का समापन 23 मई 2025 को बेंगलुरु स्थित विमान और प्रणाली परीक्षण प्रतिष्ठान (ASTE) में “सुरंजन दास डिनर” के साथ हुआ। इस समारोह में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने सफलतापूर्वक कोर्स पूरा करने वाले अधिकारियों को प्रमाण पत्र और विशिष्ट प्रदर्शन के लिए ट्रॉफियाँ प्रदान कीं। यह पाठ्यक्रम भारतीय वायु सेना की तकनीकी क्षमता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है।

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फ्लाइट टेस्ट कोर्स 48 सप्ताह का एक कठिन और गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जिसमें उन्नत हवाई प्लेटफार्मों और प्रणालियों के परीक्षण की विशेष दक्षता विकसित की जाती है। यह कार्यक्रम भारत की स्वदेशी विमान निर्माण परियोजनाओं जैसे उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) और LCA MK-II के लिए कुशल परीक्षण अधिकारियों को तैयार करता है। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने इस अवसर पर आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की दिशा में वायुसेना की भूमिका को रेखांकित किया और अधिकारियों से सटीकता, निष्ठा और उत्कृष्टता के मूल्यों को बनाए रखने का आह्वान किया।

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समारोह के दौरान विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को सम्मानित किया गया। स्क्वाड्रन लीडर एस. भारद्वाज को सर्वश्रेष्ठ ऑल-राउंड छात्र पायलट के लिए “सुरंजन दास ट्रॉफी”, स्क्वाड्रन लीडर अजय त्रिपाठी को “चीफ ऑफ द एयर स्टाफ ट्रॉफी”, स्क्वाड्रन लीडर सुभ्रज्योति पॉल को “महाराजा हनुमंत सिंह स्वॉर्ड”, विंग कमांडर अश्विनी सिंह को “डनलप ट्रॉफी” और मेजर कौस्तुभ कुंटे को “कपिल भार्गव ट्रॉफी” प्रदान की गई। इन पुरस्कारों ने भारतीय वायुसेना की प्रतिभा और परिश्रम को एक बार फिर से साबित किया।

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भारतीय वायुसेना के इस प्रयास से स्पष्ट होता है कि देश की सुरक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता के लिए प्रशिक्षित और समर्पित पेशेवरों की एक मजबूत टीम तैयार की जा रही है। ASTE जैसे प्रतिष्ठान न केवल आधुनिक रक्षा तकनीक के परीक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत भी बन रहे हैं। यह समापन समारोह वायुसेना की उड़ान परीक्षण क्षमता के विकास, आत्मनिर्भर रक्षा प्रणालियों और तकनीकी उत्कृष्टता की दिशा में भारत के मजबूत कदमों का प्रतीक है।

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