
मुंबई के एलफिंस्टन टेक्निकल हाई स्कूल और जूनियर कॉलेज में आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति ने संविधान मंदिर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि संविधान देश की आत्मा है और इसका सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। कार्यक्रम का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के अवसर पर किया गया, जहां उपराष्ट्रपति ने देशभर के 434 आईटीआई में संविधान मंदिरों का भी ऑनलाइन उद्घाटन किया।
उन्होंने संविधान के 75वें वर्ष की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि कुछ लोग संविधान की आत्मा को भूल चुके हैं, लेकिन यह कार्यक्रम संविधान के प्रति जागरूकता फैलाने का एक सतत प्रयास है। उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर को याद करते हुए कहा कि संविधान की संरचना और उसका महत्व हमेशा प्रासंगिक रहेगा।
अपने संबोधन में उन्होंने मंडल कमीशन और आरक्षण जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की, और संविधान में आरक्षण को सकारात्मक कदम बताया, जिसका उद्देश्य समाज में समानता लाना है। आपातकाल का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने उस समय को भारत के लोकतंत्र का सबसे काला दौर करार दिया और कहा कि युवा पीढ़ी को इस इतिहास से सबक लेना चाहिए।
उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा प्रमुख रूप से शामिल थे, जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।