क्षेत्रीय भाषाओं से भी लोगों को प्राप्त होता है लक्ष्य: संतोष

दुमका। सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ विनोद कुमार शर्मा की अध्यक्षता में  एनईपी 2020 के अंतर्गत क्षेत्रीय भाषा की उपादेयता व इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार में विभागाध्यक्ष डॉ विनोद कुमार शर्मा ने कहा कि हर भाषा का सम्मान किया जाना चाहिए। भाषा व्यक्ति, संस्कार व संस्कृति की पहचान होती हैं। मातृभाषा के चलन शिक्षण व प्रशिक्षण से न केवल ज्ञान व आत्मविश्वास की बढ़त होती हैं बल्कि लक्ष्य की प्राप्ति भी सुनिश्चित होती हैं। मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं हो सकता हैं। मातृभाषा व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास का आधार स्तंभ हैं। हमें अपने भाषा पर गर्व करना चाहिए। डॉ शर्मा ने यह भी कहा कि भाषाई बल पर शिक्षा व हासिल करने से हम तनाव, विषाद आदि मनोविकारी लक्षणों से भी निजात पा सकते हैं। मौके पर एनईपी के तकनीकी व भाषा विभाग, भारत सरकार के डिप्टी डायरेक्टर संतोष कुमार ने कहा कि हम क्षेत्रीय भाषाओं को कमजोर नही समझना चाहिए। इससे हमारे समझ में वृद्धि होती हैं इससे भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संताल परगना कॉलेज के मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ कलानंद ठाकुर ने कहा कि क्षेत्रीय भाषा से याद अधिक रख सकते हैं व जल्दी चीजों को सीख सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान विधार्थियो ने कई प्रश्न पूछे और जिसका जवाब भी अतिथियों द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में मंच संचालन व धन्यवाद ज्ञापन छात्र निरोज कुमार गोराइ ने किया।

The short URL of the present article is: https://bharatbulletin.in/051n

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *