महुआ का सीजन आते ही जंगलों में आग लगने का सिलसिला शुरू हो गया

पाकुड़। महेशपुर प्रखंड के जंगलों में महुआ का सीजन आते ही जंगलों में आग लगने का सिलसिला शुरू हो गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार महुआ के सीजन में महुआ चुनने वाले ग्रामीण जंगलों और पहाड़ों में आग लगाते है। जिससे उसे पेड़ से गिरे महुआ चुनने में आसानी हो, उसे महुआ चुनते समय काटे, झाड़ इत्यादि के कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। लेकिन उनकी ये मूर्खता से हरे भरे जंगल के छोटे– छोटे पेड़– पौधे जल कर नस्ट हो रहे है। साथ ही महुआ चुनने वाले ग्रामीणों द्वारा जंगल में आग लगने पर, जंगल में रहने वाले छोटे छोटे जीव–जंतु, जलते आग में तड़प–तड़प के अपने जान गवा देते है। जहां एक तरफ सरकार जल–जंगल, जमीन और पहाड़ को बचाने में कोई कसर नही छोड़ रही है तो दूसरी तरफ माफियाओं का झुंड अपने स्वार्थ के लिए जल–जंगल , जमीन व पहाड़ को नष्ट करने में लगे हुए है। सबका साथ सबका विकास सबके ऊपर हावी है। कोई जंगल को जला रहा है तो कोई जंगल की जमीन को खोद कर काला हीरा निकल रहा है तो कोई इसी काले हीरा के खदान से काला पानी निकाल, नदी में फेंक रहा है। हो रहा वही जो रूवाबदार चाह रहे है और जिमेदार मौन साधे हुए है। जिस तरह से ये माफिया महेशपुर के पहाड़ों और जंगलों में अंधाधुन आग लगा रहे है, लगता है महुआ के सीजन में ही महेशपुर प्रखंड के पहाड़ों और जंगलों को नस्ट कर, महेशपुर की खूबसूरती तथा पहाड़ों की घने जंगल अब कागज में ही रह जाएंगे। माफिया प्रखंड के देवपुर, शहरग्राम, पीपरजोड़ी इत्यादि क्षेत्र के जंगल को जला कर नष्ट कर चुके है।
The short URL of the present article is: https://bharatbulletin.in/6oph

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *